26
Oct.2014
भूल गया है क्यों इंसान
सबकी है मिट्टी की काया,
सब पर नभ की निर्मल छाया,
यहाँ नहीं कोई आया है,
ले विशेष वरदान .
भूल गया है क्यों इंसान
धरती ने मानव उपजाए,
मानव ने ही देश बनाए
बहुदेशों में बसी हुई है,
एक धरा संतान.
भूल गया है क्यों इंसान
देश अलग हैं, देश अलग हों,
वेश अलग, वेश अलग हों,
मानव को मानव से लेकिन,
जोडे अंतर –प्राण
भूल गया है क्यों इंसान
हरिवंश राय बच्चन
Category: Hindi Poems, Short Hindi Poems
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