मंगल यान मिशन भारत जैसे विकसित देशों की आवश्यक्ता – विपक्ष
भारत ने अंतरिक्ष के क्षेत्र में इतिहास रचते हुए अपने मंगल मिशन को जिस तरह सफलतापूर्वक अंजाम दिया यकीनन ही वो भारत के वैज्ञानिक इतिहास की सबसे बडी उपलब्धि है।
सुप्रभात आदरणीय निर्णायक गण एवं मेरे प्रिय साथियों, आज के इस वाद विवाद प्रतियोगिता का शीर्षक है मंगल यान मिशन भारत जैसे विकासशील देश की आवश्यकता। तथा मैं अपने आकाट्य तर्कों द्वारा इसे पूर्णत: गलत सिद्ध कर दूँगी।
हमारा देश विकसित देशों की सूचि में गिना जाने के लिये कईं प्रयत्न कर रहा है तथा सफल भी हो रहा है जिसका मुख्य उदाहरण है मंगल यान मिशन। इस सफलता के बाद भारत दुनिया का पहला ऐसा देश बन गया जिसने पहली ही बार में मंगल मिशन पर फतह पाई हो। साथ ही यह बहुत प्रचलित हुअ कि भारत का मंगल मिशन अब तक का सबसे सस्ता अभियान है। परंतु प्रश्न यह उठत है कि भारत जैसे भ्रष्टाचारी देश में क्या यह बचा हुआ धन किसी तरह देश की आर्थिक स्थिति को लाभ पहुँचा रहा है।
मेरे विपक्षी साथियों का यह तर्क देना कि वह धन हमारे देश के गरीबों का पेट भरने में सहायक है – तो यह कोरी बकवास है। मेर तो यह मानना है कि शेष धन का कोई विशेष उपयोग नहीं हो रहा है। इसका एक प्रत्यक्ष प्रमाण है स्विस बैंक में खुले भारतीय खाते।
भारत ने सबसे कम पैसों में सफलता प्राप्त करके अमरीका की नाक तो काट दी। परंतु अब आगे क्या? यदि वो 400 करोड रुपए भारत की आम जनता के जीवन से जुडी समस्याओं मे उपयोग लाये जाते तो लोगों के जीवन स्तर मे सुधार आता।
“भौतिक विकसित देशों के पीछे भागना – ऐसी छवि हमें धोनी चहिये
कहते हैं नकल में भी अक्ल होनी चहिए…नकल में भी अक्ल होनी चहिए॥“
यदि वह धन गरीब बच्चों को शिक्षा प्राप्त कराने में उपयोग लिए जाते तो हो सकता था कि वे बच्चे भविष्य में इससे भी कम पैसो मे तथा अन्य व्यवस्थाओं के साथ सफलता प्रप्त करते।
मेरे विपक्षी साथियों का यह कहना है कि इस मंगल यान अभियान से हम अन्य विकसित देशों के साथ प्रतिस्पर्धा कर रहे है परंतु मैं आपको बता दूँ कि देशो के विकास की तुलना HDI अर्थात ‘human development index’ के आधार पर होती है, जिसमें हमारा देश 162वें स्थान पर है। ऐसे में आप कैसे कह सकते है कि भारत अन्य विकसित देशों से मुकाबला कर सकता है?
तकनीक का ही क्षेत्र ले लीजिये, मेरे विपक्षी साथियों का मानना है कि मंगल यान मिशन की सफलता से भारत तक्नीक के क्षेत्र में विकास करेगा तो गौर कीजिए कि e-governance की योजना साल 2006 से प्रगति में है परंतु आज तक लागू नहीं हुई। तो क्या आप कह सकते है कि भारत ने तकनीक के क्षेत्र में विकास किया? नहीं..कतापि नहीं। भारत आज भी ऐसा देश है जो भष्टाचार गरीबी जैसी समस्याओं से उभर नहीं पाया है। ऐसे में दूसरे ग्रह पर जीवन बसाना…क्या यह शर्मनाक नहीं? अपनी मातृभूमि पर लोग भूखे है, उनका गुज़र बसर नहीं हो रहा और आप जाकर मंगल ग्रह पर बैठ गए। वाह! क्या विडंबना है।
अंत मे अपने शब्दों को विराम देते हुए कुछ पंक्तियाँ बोलना चाहूँगी…
”समस्याएँ जहाँ मुँह बाएँ खडी, गरीबी भ्रष्टाचार और गन्दगी ;
वहाँ मंगल ग्रह पर विजय से देखो, कैसे इतराए भारतीय ज़िंदगी।“
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