Celebration of Independence Day in my school
Introduction
Independence Day (15th of August) is the most important day in the history of India. On this fortunate day, our country became free after many centuries. The British left India with bags and baggage.
Preparations for the Day
We celebrate this day with great zeal every year. This year also great preparations were made in the school. Every one of us was eager to take part in the Independence Day celebrations. The vice-principal drew up a program which was announced by the principal on the 14th of August.
Program of the Day
In school, we stood around the flag pole. We were asked to stand classwise. The teachers stood behind us. At our Principal’s request, the chief guest of the program came forward to perform the flag hoisting ceremony. We stood in attention to give a salute to the flag.
After the flag ceremony, the national anthem “Jan Gan Man” was sung. The NCC band played the tune. The flag ceremony came to a close with a few speeches delivered by the staff and the students. All the speakers threw light on the importance of the day and our duties towards the country. In the end, the principal asked us to assemble around the field to take part in the school sports. They were held with great enthusiasm. Those who stood first and second in the various sports got prizes from the chief guest.
Conclusion
Thus we celebrated Independence Day in our school. This day always reminds me of the untold sacrifices of the fighters of freedom. We should worship those patriots who shed their blood for achieving freedom.
विद्यार्थी जीवन में अनुशासन का महत्व
‘जग की सुंदरता वृक्षों एवं वनों से नहीं वरन् उसके नागरिकों से बढ़ती है‘ जा पंक्तियां पूर्णतः सत्य है। अनुशासित नागरिक ही संसार का पालन कर सकता है। आज का विद्यार्थी ही कल का नागरिक है।
“विद्यार्थी जिनमें हो अनुशासन, नागरिक बन संभाले प्रशासन”
विद्यार्थी जीवन में अनुशासन का बहुत महत्व है। विद्यार्थी अपनी पढ़ाई के साथ विद्यालय को भी नियमित रखता है। विद्यार्थी को अपने पढ़ाई की सामग्री के साथ नियमित, विद्यालय में पहुंचना चाहिए। वहां पूरी श्रद्धा के साथ अध्ययन करना चाहिए। अध्यापक गण जो पढ़ावें उसे ध्यान से सुनना चाहिए। अध्यापक की आज्ञा का पालन करना ही विद्यार्थी का कर्तव्य बनता है।
“अनुशासित विद्यार्थी कर्म करे नियम बद्ध नम्र रहे अध्ययन करें क्रम बद्ध”
आधुनिक युग में विद्यार्थी अनुशासित नहीं हैं। देश की रक्षा के लिए जिन मूल्यों एवं गुणों की आवश्यकता है उनका विद्यार्थी विनाश कर रहे हैं। विद्यार्थी के अनुशासित रहने के लिए केवल विद्यालय अधिकारी ही नहीं वरन पूरा राष्ट्र चिंतित है। अध्यापक अध्यापक गण अपना सतत प्रयत्न कर विद्यार्थी को अनुशासित बनाकर उन्नति प्राप्त करवाना चाहते हैं।
समाचार पत्र का महत्व – हिन्दी निबंध
प्रस्तावना:
मुद्रण कला के आविष्कार के बाद जो महत्वपूर्ण चीज सामने आई, वह है समाचार पत्र। प्रतिदिन सुबह सवेरे सारी दुनिया में घटित होने वाली घटनाओं, परिवर्तनों तथा अन्य सब प्रकार की हलचलों की सूचना देने वाला समाचार पत्र आज एक बडी आवश्यकता बन चुका है।
समाचार पत्र का आरंभ:
संसार का सबसे पहला समाचार पत्र कहाँ प्रकाशित हुआ, इस विषय में मतभेद है। समाचार पत्रों का आरंभ चाहे कहीं से भी हुआ हो लेकिन इसके प्रकाश और प्रसार का श्रेय फ्रांस तथा इंग्लैंड को ही जाता है। भारत में समाचार पत्र के रूप में ‘इण्डिया गजट’ सबसे पहले 1780 में प्रकाशित हुआ। हिंदी का पहला समाचार पत्र ‘उदण्ड मार्तण्ड था। ऐसे करते करते प्रदेशिक भाषाओं में समाचार पत्रों का आरंभ हुआ।
विभिन्न सूचनाएँ:
समाचार पत्रों में राजनीति और आर्थिक ही नहीं बल्कि अन्य प्रकार की सूचनाएँ एवं समाचार रहते हैं। ज्ञान विज्ञान से लेकर खेल जगत की सूच्नाएँ समाचार पत्र में रहती है। इसलिए समाचार पत्रों को विश्व जीवन का दर्पण कहा जाता है।
विज्ञापन:
ससमाचार पत्र विज्ञापन के भी बहुत अच्छे साधन है। इन विज्ञापनों में नौकरी और व्यक्तिगत सूचना संबंधी विज्ञापनों से लेकर वैवाहिक, शिक्षा संबंधी विज्ञापनों तथा व्यापारिक विज्ञापन भी सम्मिलित है। पर्वों त्योहारों तथा विशेष अवसरों पर अपने विशेषांक तथा साप्ताहिक परिशिष्ट आदि में समाचार पत्र विशिष्ट सामग्री प्रकाशित करते हैं। इस प्रकार करते हैं। इस प्रकार समाचार पत्र सभी के लिए सिद्ध हैं।
कला और दायित्व:
समाचार पत्रों का सम्पादन एक विशिष्ट कला है, जो एक ओर तो पाठक की जिज्ञासा को जगाता होहै और दूसरी ओरे उसका समुचित समाधान प्रस्तुत करता है। समाचारों का चयन, उनके शीर्षक और भषा प्रयोग में सतर्कता और सावधानी बरतनी आवश्यकता है।
निर्वाह का साधन:
समाचार पत्र आजीविका के भी अच्छे साधन हैं। समाचार पत्रों में काम करने वाले लोगों के अतिरिक्त कागज़ उद्ध्योग, स्याहि उद्ध्योग, विज्ञापन एजेंसियों से लेकर घर घर अखबार पपहुँचाने वाले हॉकरों तक करोडों लोगों की रोजी रोटी समाचार पत्रों से चलती है। अत: हर दृष्टि से समाचार पत्रों की भूमिका महत्वपूर्ण है।
उपसंहार:
दैनिक जीवन मे समाचार पत्र कितनी महत्वपूर्ण भूमिकाएँ निभाता है। यह हमें राजनीति से लेकर अन्य देशों के समाचार देता है। महानगरीय जीवन में तो सुबह उठते ही चाय के साथ समाचार पत्र पहली आवश्यकता है। समाचार पत्र का देर से आना भी एक बेचैनी का कारण बन सकता है।
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